Surah Nasr in Hindi | सूरह नस्र हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन, आज हम इस पोस्ट के जरिए क़ुरान की 110वीं सूरह Surah Nasr in Hindi, English, Arabic, Urdu और तर्जुमा के साथ देखेंगे | 

सूरह नस्र क़ुरान के 30वें पारे में मौजूद है, और ये सूरह सिर्फ 3 आयतों वाली सूरह है, इस सूरह को हम हमेशा नमाज़ में पढ़ते रहते हैं | 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सूरह का तर्जुमा क्या है और इस सूरह की तफसीर क्या है, तो बिलकुल बेफिक्र हो जाए क्युकी आज हम इन सबके बारे में अच्छे से जानेंगे | 

तो चलिए अब हम सूरह नस्र (Surah Nasr in Hindi) देखते हैं, और आपसे गुज़ारिश है कि इस पोस्ट को आखिर तक पढ़ कर पूरी जानकारी हासिल जरूर करें | 

Surah Nasr in Hindi

Surah Nasr in Hindi

बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम 

इजा जा अ नस्रूल्लाही वलफतु

वर ऐतन  नास यद्खुलूना फ़ी दीनी अल्लाही अफ़्वाजा

फ़सब्बिह बिहामदी रब्बिका वस्ताग़फिरहु इन्नाहु कान तव्वाबा।

Surah Nasr in Hindi Tarjuma

Surah Nasr in Hindi Tarjuma

अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत बड़ा मेहरबान व निहायत रहम वाला है।

जब खुदा की मदद आ पहुंची और फतह (हासिल हो गई)

और तुमने देख लिया के लोग गौल के गौल खुदा के दीन में दाख़िल हो रहे हैं | 

तो अपने परवरदिगार की तारीफ के साथ तस्बीह करो और उससे मगफिरत मांगो, बेशक वो माफ़ करने वाला है | 

Surah Nasr in Arabic

Surah Nasr in Arabic

بِسۡمِ ٱللهِ ٱلرَّحۡمَـٰنِ ٱلرَّحِيمِ

اِذَا جَآءَ نَصۡرُ اللّٰهِ وَالۡفَتۡحُۙ‏

وَرَاَيۡتَ النَّاسَ يَدۡخُلُوۡنَ فِىۡ دِيۡنِ اللّٰهِ اَفۡوَاجًاۙ

فَسَبِّحۡ بِحَمۡدِ رَبِّكَ وَاسۡتَغۡفِرۡهُ‌ؔؕ اِنَّهٗ كَانَ تَوَّابًا

Surah Nasr in Roman English

Surah Nasr in Roman English

Bismilla Hiraahma Nir Rahaeem  

Ija jaa a nasru Allahi waalfathu

Wara aytannasa yadkhuloona fee deeni Allahi afwaja

Fasabbih bihamdi rabbika waistaghfirhu innahu kana tawwaba.

Surah Nasr in English

Surah Nasr in English

In the name of Allah, Most Gracious, Most Merciful.

When the victory of Allāh has come and the conquest,

And you see the people entering into the religion of Allāh in multitudes,

Then exalt [Him] with praise of your Lord and ask forgiveness of Him. Indeed, He is ever Accepting of Repentance.

Surah Nasr in Urdu

Surah Nasr in Urdu

اللہ کے نام سےشروع جو نہایت مہربان ہمیشہ رحم فرمانےوالا ہے

جب خدا کی مدد آ پہنچی اور فتح (حاصل ہو گئی)

اور تم نے دیکھ لیا کہ لوگ غول کے غول خدا کے دین میں داخل ہو رہے ہیں

تو اپنے پروردگار کی تعریف کے ساتھ تسبیح کرو اور اس سے مغفرت مانگو، بے شک وہ معاف کرنے والا ہے

Surah Nasr Ki Tafseer & Tashreeh

रसूल अल्लाह (ﷺ) पर आख़िरी ज़माने में नाज़िल होने वाली सूरह “सूरह नस्र” है | 

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रजि) से रिवायत है के जब हज्जतुल विदा के दौरान रसूल अल्लाह (ﷺ) मिना में थें उस वक़्त ये सूरह (Surah Nasr in Hindi) नाज़िल हुई थी, इस सूरह के बाद सूरह मायदा की आयत नंबर 3 नाज़िल हुई थी उसके बाद रसूल अल्लाह (ﷺ) सिर्फ 80 दिनों तक दुनियाँ में रहे थें | 

मक्का कब फतह हुआ 

इस सूरह में जिस फतह की बात हुई है वो मक्का की फतह है, जो 8 हिजरी में फतह हुआ | 

अरबों का ये अकीदा था के हरम शरीफ में सिक्का बस उसी का चल सकता है जिसको अल्लाह की मदद हासिल होगी इसीलिए फ़तहे मक्का के बाद लोग फौज दर फौज इस्लाम क़ुबूल करने लगें |

मक्का फतह होने के बाद मुसलमानों की तादाद  

फ़तहे मक्का के बाद इस्लाम की तबलीग काफी तेज़ी से होने लगी जहाँ फ़तहे मक्का वक़्त रसूल अल्लाह (ﷺ) के साथ सिर्फ दस हज़ार (10000) सहाबा थें, लेकिन फ़तहे मक्का के सिर्फ दो साल से भी कम अरसे में हज्जतुल विदा के मौके पर मुसलमानों की तादाद लगभग एक लाख से भी ज्यादा हो चुका था | 

अरब के साथ साथ अरब से बहार भी इस्लाम को रोशनी काफी तेज़ी से फ़ैल रही थी, यहाँ तक की रसूल अल्लाह (ﷺ) के वफात के कुछ अरसे बाद हज़रत उमर (रजि.) के खिलाफत के दौरान उस वक़्त के दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकतें रोम और इरान इस्लाम के झंडे के निचे आ चुके थे | 

सूरह नस्र में किस की तरफ इसारा है?

इस सूरह (Surah Nasr in Hindi) में इस बात की तरफ इसारा है कि अल्लाह ने रसूल अल्लाह (ﷺ) को जिस मक़सद के तहत दुनिया में भेजा था वो पूरा हो रहा है | 

हालाँकि रसूल अल्लाह (ﷺ) हमेशा अल्लाह की तस्बीह किया करते थें लेकिन इस सूरह में ये भी हुक्म हुआ के अपने तस्बीह में इज़ाफ़ा करें और मगफिरत की दुआ करते रहें | 

हज़रत आयशा (रजि.) से रिवायत है के इस सौराह के नाज़िल होने के बाद रसूल अल्लाह (ﷺ) कसरत से अपने रुकू और सजदे में सुब्हानक रब्बना व बीहमदिका अल्लाहुम्मग़ फिरली पढ़ने लगें | 

हज़रत उम्मे सलमा (रजि.) से रिवायत है के रसूल अल्लाह (ﷺ) अपने आख़िरी उम्र में चलते फिरते उठते बैठते सुब्हानल लाहा व बीहमदिका अस्तग़्फ़िरुल्लाह व अतूबु अलैह पढ़ा करते थें | 

अगरचे सूरह नस्र में अल्लाह ने रसूल अल्लाह (ﷺ) को तस्बीह करने का और अस्तगफार करने का हुक्म दिया लेकिन कुछ सहाबा इस सूरह को सुनने के बाद समझ गए की इस सूरह में रसूल अल्लाह (ﷺ) की वफ़ात का भी इसारा है, और सिर्फ 80 दिनों के बाद रसूल अल्लाह (ﷺ) की वफ़ात हो गई | 

आख़िरी बात 

मुझे उम्मीद है कि आप Surah Nasr in Hindi, English, Arabic, Urdu और तर्जुमा के साथ सिख चुके होंगे साथ ही साथ इस सूरह की तफसीर भी जान चुके होंगे | 

नाज़रीन, यक़ीनन हम ये नहीं जानते की कब हमारी मौत होगी इसीलिए हमें कसरत से अल्लाह की तस्बीह करते रहना चाहिए और अल्लाह से अपने मगफिरत की दुआ करते रहना चाहिए | 

इसी तरह और भी सूरह जैसे सूरह क़ुरैश या और सूरह सिखने के लिए आप हमारे इस वेबसाइट से जुड़े रहें, और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करके सदक़ा ए जारिया हासिल करें | 

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